अनिल अंबानी की किस्मत पलटने वाली है… क्योंकि ये भारत में प्राइवेट सेक्टर में पहली कंपनी बन गई है, जिसने 4 प्रकार की नई जनरेशन के 155 मिमी आर्टिलरी गोला बारूद को डिजाइन और डेवलप किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी ने बताया कि इन चारों गोला-बारूद परियोजनाओं का काम पूरा हो चुका है.
इस परियोजना के तहत 10 भारतीय कंपनियों को सप्लाई चेन में शामिल किया गया है और प्रोडक्शन तुरंत शुरू किया जा सकता है. खास बात ये है कि ये पूरा प्रोजेक्ट पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर बेस्ड है, जिससे यह मेक इन इंडिया पहल के तहत भारतीय रक्षा निर्माण क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है.
आने वाले समय में 10,000 करोड़ के ऑर्डर की उम्मीद
कंपनी को उम्मीद है कि अगले दस साल में रक्षा मंत्रालय से 10,000 करोड़ रुपए तक के ऑर्डर मिल सकते हैं. भारतीय सेना द्वारा गोला-बारूद पर किया जाने वाला वार्षिक खर्च 2023 में जहां 7,000 करोड़ रुपए था, वहीं 2032 तक यह 12,000 करोड़ रुपए सालाना तक पहुंचने का अनुमान है. इसमें Reliance Infrastructure इस सेक्टर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में है.
साथ ही, कंपनी का टारगेट है कि आने वाले समय में निर्यात बाजार में भी प्रवेश किया जाए. कंपनी ने अनुमान लगाया है कि निर्यात से अगले दशक में 10,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया जा सकता है. अभी के समय में कंपनी के पास कई रक्षा SPVs (Special Purpose Vehicles) हैं, जो DRDO के सहयोग से विभिन्न रक्षा परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं.
वर्तमान स्थिति और शेयर बाजार में हलचल
हालांकि, कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी तक उसे भारतीय सेना की ओर से किसी भी गोला-बारूद परियोजना के लिए ऑर्डर प्राप्त नहीं हुआ है. लेकिन इसके बावजूद, कंपनी को एक बड़ी राहत मिली है. NCLAT (राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण) ने IDBI ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड द्वारा दाखिल दिवालियापन याचिका पर कार्यवाही को रोक दिया है. यह याचिका 88 करोड़ रुपए के डिफॉल्ट को लेकर दायर की गई थी. इस बीच Reliance Infrastructure Ltd का शेयर दोपहर 12 बजे के आस-पास 0.66% की तेजी के साथ 373.90 रुपए पर ट्रेड कर रहा है.